घर के सबसे प्रिय व्यक्ति की मृत्यु हो जाए और किसी बच्चे की परीक्षा सिर पर हो तो समझिये उनपर कैसी गुजरती होगी. ऐसी ही एक प्रेरणा देने वाली कहानी झारखंड एकेडमिक काउंसिल यानी जैक की 12वीं परीक्षा में टॉपर स्नेहा कुमारी की है. आइये आगे पढ़ते हैं कि स्नेहा के साथ क्या हुआ था और वह अपनी दादी के दिये हौसले से कैसे आगे बढ़ी. आखिर कैसे अपने पिता के सपने को साकार किया.
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