उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने कहा कि गंभीर चोटों के परिणामस्वरूप स्थायी अपंगता वाली दुर्घटना के मामलों में मुआवजा निर्धारण करना बेहद कठिन है. यह कभी भी सटीक विज्ञान नहीं हो सकता. व्यक्ति के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उसके लिए मुआवजे की संभावना को बाहर रखने का कोई औचित्य नहीं है.
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