चंड़ीगढ़ यूनिवर्सिटी का यह केस तमाम सरकारों, यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन्स और पैरेंट्स के लिए एक सबक है. जरूरत है, हॉस्टल्स में वॉर्डन के सिलेक्शन को फिर से स्क्रूटनाइज करने की, हॉस्टल स्टाफ्स के तमाम पैरामीटर पर जांचने की, जरूरी तकनीक के इस्तेमाल की और साथ-साथ बच्चों के काउंसिलिंग की.
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