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Friday, 31 August 2018

shraddhanjali

कर्नाटक के कलबुर्गी में कुछ लोग निभा रहे हैं इंसानियत का असली फर्ज. जी हां, ये युवाओं हर रोज भूखों का पेट भरते हैं औऱ इन्हीं को सही मायने में कहा जाता है अन्नदाता. बिना किसी स्वार्थ और लालच के किसी भूखे का पेट भरना अपने आप में अद्भुत है. ये है इनका अन्नदान यानी महादान. कलबुर्गी में जिन गरीबों का अपना कोई आशियाना नहीं है, जिनके सिर पर छत नहीं और वो फुटपाथ पर काट रहे हैं अपनी जिंदगी. अगर किस्मत अच्छी रही तो खाना मिल गया नहीं तो भूखे पेट ही पटरी पर सोते हैं ये बुजुर्ग. ऐसे में दो वक्त की रोटी देने वाले ये युवा इन बुजुर्गों के लिए किसी भगवान से कम नहीं हैं. इनको खाना देने वाले ये युवा रोज अपने साथ खाने के पैकेट लेकर आते हैं और एक-एक कर बांटते हैं. ये सभी प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं और अपनी सैलरी से पैसे बचाकर एक-दूसरे के सहयोग से ऐसा नेक काम कर रहे हैं. नेकी की राह पर चल रहे हैं इन युवाओं की जिंदगी का बस एक ही फलसफा है कि खुद के लिए तो सभी जीते हैं, जो भूखे के चहरे पर मुस्कान लाए वो सच्चा इंसान है. ये हर रोज खुद अपने हाथों से खाना बनाते हैं और फिर उसे पैक करके निकल पड़त हैं, बुजुर्गों का पेट भरने के लिए.

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